
साल 1961 में जिस भारतीय टीम ने england को हराकर हॉकी मैच में इतिहास रचा था,ये भारतीय राष्ट्रीय हॉकी के खिलाड़ी रहे टेकचंद हैं। टेकचंद उस टीम के अहम खिलाड़ी थे। आज इनकी समय बेहद दर्दनायी है। हॉकी के जादूगर #ध्यानचंद के शिष्य और मोहरसिंह जैसे खिलाडियों के गुरू आज एक टूटी-फूटी घर में रहने को मजबूरी हैं। जनप्रतिनिधि से लेकर सरकार तक जिन्हें इनकी ध्यान करनी चाहिए, कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है। शायद इसीलिए सरकार 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन देकर इनके ऊपर अहसान कर रही है।
मध्यप्रदेश के सागर में रहने वाले टेकचंद के पत्नी व बच्चे नहीं हैं। भोजन के लिए अपने भाइयों के परिवार पर आत्मनिर्भर है इस अभागे को कभी-कभी #भूखे भी सोना पड़ जाता है। ये उसी देश में रहते हैं, जहां एक बार विधायक- सांसद बन जाने के बाद कई पुश्तों के लिए खजाना और जीवन भर के लिए पेंशन-भत्ता खैरात में मिलता है।
सरकार को इनसभी पे ध्यान देना क्युकी आज जो आज है ओ कल अतीत हो जायेगा फिर उनपे भी ऐसाही होना पे मजबूर होगा, आज का देश के शान कल का कोई कदर नहीं,